Hindi Story: एक समय की बात है एक गॉव में एक व्यापारी रहता था जो की बहुत ही कंजूस था | लेकिन वह व्यापार करने में बहुत ही माहिर था |वह दिन रात मेहनत करता था और जीवन में बहुत तरक्की कर रहा था वह अपने कामों में बहुत व्यस्त रहता था |
वह अपने परिवार को भी समय नहीं देता था उसके परिवार में उसकी पत्नी और दो बेटे थे | उसकी पत्नी भी अधिकतर घर के कामों में और व्यापारी की मदद करने में व्यक्त रहती थी इसके चलते व्यापारी के दोनों बच्चे बहुत ही शरारती हो गए थे | उनके दोनों बेटे दिन भर घर से बाहर रहते थे और बुरे बच्चों की संगति में रहते थे |
व्यापारी की पत्नी अपने बच्चों के लिए बहुत परेशां थी लेकिन वो क्या करती वह भी पूरे दिन कामो में ही लगी रहती थी क्योंकि व्यापारी भी सुबह शहर जाने से पहले कई सारे काम अपनी पत्नी को सौंप देता था और शाम को यदि कोई काम पूरा न हुआ तो व्यापारी अपनी पत्नी को खूब खरी खोटी सुनाता था |
वह किसी को काम पे भी नहीं रखना चाहता था व्यापारी की पत्नी व्यपारी से कहती ह की किसी को काम पे रख लो जो आपकी मदद कर सके इसपर व्यापारी अपनी पत्नी को बहुत सुनता है और कहता है की तुम बहुत कामचोर हो इसलिए तुम मेरी मदद नही करना चाहती और तुम्हे कुछ नही आता पैसे बचाना पैसे बचाओगे तो हम कुछ बड़ा कर सकते हैं |
व्यापारी की पत्नी कुछ नहीं कहती वह बहुत दुखी रहती थी एक दिन जब व्यापारी घर आया तो उसने अपनी पत्नी को देखा वह बहुत उदास लग रही थी उसने पूछा की क्या बात है तुम क्यों परेशान हो ? तो व्यापारी की पत्नी व्यापारी से कहती है की आप बच्चों को किसी अच्छे स्कूल में क्यों नहीं डाल देते वो बुरी संगती में पड़ रहे हैं |
इसपर व्यापरी अपनी पत्नी को कोई जबाब नही देता और वह से चले जाता है ककी व्यापारी ऐसा नहीं चाहता था उसने सोचा की ये फालतू बात है जिसमे की बहुत है और कुछ नही |
कुछ दिन ऐसे ही चलता है और एक दिन व्यापारी व्यापार के सिलसिले में दूसरे शहर जाता है कुछ दिन शहर रुक के वह घर की ओर लौट रहा था |आते आते उसे एक जंगल में ही रात हो गई उसके पास एक घोड़ा गाड़ी थी जिस पे वह सवार था और गाड़ी में कुछ सामान भी था वह अब रात में वहीं रुकने की सोचता है |
व्यापारी घोड़ों को पेड़ से बांध कर खुद भी पेड़ पे चढ़ जाता है और रात में वही रहने की सोचता है चांदनी रात थी दूर दूर तक स्पष्ट दिखाई दे रहा था |व्यापारी चारों तरफ देख रहा था तभी उसकी नजर पड़ी उसने देखा की थोड़ी ही दूरी पे कुछ हिरणो का झुण्ड था वे सब सो रहे थे एक हिरन बीच में था और अन्य चार हिरन उसके चारों तरफ सो रहे थे व्यापारी ने सोचा हो सकता है ये इनका मुखिया होगा इसलिए ये सब इसकी रखवाली कर रहे हैं |
व्यापारी पूरी रात सुबह होने का इंतजार कर रहा था आख़िरकार सुबह हुई व्यापारी ने देखा धूप निकल रही थी अब वो जंगल से घर की तरफ आना चाहता था जैसे ही व्यापारी पेड़ से उतर रहा था वैसे ही उसकी नजर फिर से उधर ही पढ़ती है जहां उसने रात में हिरनों के झुंड को देखा था , व्यापारी देखता है की अभी भी सभी हिरन वहीँ थे और जो हिरन रात में झुण्ड के बीच में था वो अभी भी वही सो रहा था और अन्य सभी हिरन इधर उधर से मुंह में घास ला रहे थे और उस हिरन के सामने डाल रहे थे
व्यापारी ने देखा की वो हिरन एक बृद्ध हिरन था और वे उसके परिवार क अन्य हिरन थे जो उसके बृद्धावस्था में उसका ख्याल रख रहे थे यह सब देख के व्यापारी को बहुत आश्चर्य हुआ और वह घर की तरफ निकल पड़ा रास्ते में वो उन्हीं हिरणो के बारे में सोच रहा था अचानक उसको अपने परिवार का ख्याल आया और वो सोचने लगा की मेरी पत्नी सही ही कहती है की हमें अपने बच्चों के बारे में अच्छा सोचना चाहिए
अगर आज हम उनका बचपन संवार देते है तो कल वो हमारे बुढ़ापे का सहारा बनेगा उनकी अच्छी शिक्षा उनको कामयाब बनाएगी और वही हमारे बुढ़ापे का सहारा बनेंगे और मेरी पत्नी जो इतना कुछ करती है तब भी मै उनपे हमेशा गुस्सा करता हूँ मैं इंसान होकर भी अपने अपनों को दुखी कर रहा था अब उसे अपनी गलतियों का एहसास होता है
आज जब व्यापारी घर पहुंचता है तो उसको खुश देख के उसकी पत्नी भी खुश हो जाती है और व्यापारी कहता है की अब तुम्हे फ़िक्र करने की जरूरत नही है अब तुम्हारी सहायता करने के लिए मै किसी को काम पे रख रहा हूँ और बच्चों को भी अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवा रहा हूँ व्यापारी की पत्नी बहुत खुश होती है और भगवान का धन्यवाद करती है अब व्यापारी किसी भी काम में कंजूसी नहीं करता है और अपने परिवार के साथ ख़ुशी ख़ुशी जीवन बिताता है |