Lalchi Admi aur Garib Kisan ki Kahani

 

लालची अमीर आदमी और गरीब किसान की कहानी

बचपन में गरीबी

बहुत समय पहले की बात है | एक गाँव में रवि नाम का एक गरीब किसान रहता था| वह बहुत गरीब था| सिवाय एक झोपडी के उसके पास कोई जमीन नहीं थी |

राजकुमार सेठ के खेतों में काम

वह गाँव के एक अमीर आदमी राजकुमार सेठ के खेतों में काम करता था| राजकुमार सेठ उसे हर दिन काम के समय खाना देता था | और थोड़ा बहुत महीने में उसे पैसे दिए करता था |राजकुमार रवि को अपने खेतों में बहुत काम करता था | और उसे बहुत व्यस्त रखता था | ताकि वह उसी का काम करता रहे |

रवि की दयालुता

रवि ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया था | वह एक समझदार इंसान के साथ साथ बहुत मेहनती और दयावान भी था | जब भी वह शाम को अपने घर आता, तो वह अपने आस पास के सभी गरीब और अनाथ बच्चो को खाना बनाकर खिलाता था | क्योंकि वह खुद भी अनाथ था वह सबके दुखों को समझता था रवि के पास भले ही धन दौलत न थी तब भी वह दिल से बहुत अमीर था आसपास के सभी लोग भी रवि को पसंद करते थे

सेठ का उपद्रव

एक बार रवि शाम के समय काम खत्म कर के सेठ के पास जाता है और कहता है की “सेठ जी एक महीने से ज्यादा समय हो गया है अब मुझे पैसों की जरुरत है आप मेरे काम के पैसे मुझे दे दीजिये ”

यह सुनते ही सेठ बोलता है ” रवि मै तो तुम्हे कल ही ये बात कहने वाला था चलो आज तुम खुद ही आ गए रवि तुम जानते हो इस महीने मेरी बेटी की शादी है इस महीने में तुम्हे पैसे नहीं दे सकता तुम समझदार हो क्या इस महीने मेरे लिए इतना भी नही कर सकते ?

रवि सेठ से विनती करता है की पुरे नही तो आधे पैसे ही दे दीजिये मेरे पास कुछ नही है इस महीने आधे से ही काम चला लूँगा

रवि की बात सुनते ही सेठ को गुस्सा आता है और सेठ केहता की कैसे आदमी हो तुम मेरा काम करते हो तो क्या मै तुम्हे काम के वक़्त मुफ्त का खाना भी तो देता हूँ अब तुम्हे और क्या चाहिए ?

सेठ की चालाकी

ये सुन के रवी कुछ नही कहते है और वहाँ से जाने लगता है सेठ बहुत चालाक था उसे अपना काम निकलवाना था रवि को जाता देख वो रवि को पास बुलाता है और कहता है की रवि देखो तुम तो मुझे समझो बेटी की शादी में बहुत रुपए लग गए है और तुम्हे नही पता होगा लेकिन हम अमीर लोगो के यहाँ शादियों में ज्यादा खर्चा करना पड़ता है क्या तुम ये चाहोगे कि मेरी गावं में बेज्जती हो जाये

रावी कहता है नही नही सेठ जी मै ऐसा क्यों चाहूँगा भला

फिर सेठ कहता है तो रवि अब तुम ही मेरी मदद कर सकते हो क्या तुम शादी के कामों में भी मदद करने आओगे ?

और सेठ रोने का नाटक करने लगता है रवि किसी को दुखी नही देख सकता था वह एक बार में ही सेठ को हाँ कर देता है और अपने घर को लौट जाता है

इधर रवि के जाते ही सेठ मुस्कुराता है और कहता है बेवकूफ कहीं का खुद को बहुत समझदार समझता है|

रवि का दुःख

रवि अपने घर की तरफ जा रहा था और बहुत परेशान था रवि को आते देख सभी बच्चे रवि की तरफ भागते हैं उन सब को देख कर रवि को बहुत बुरा लगता है क्यूंकि आज उसके पास उन लोगों के लिए कुछ भी नहीं था

वह घर के अंदर जाता है तो देखता है की घर में कुछ भी पकाने के लिए नही था आज वह रोते रोते उन सभी बच्चों से वापस चले जाने को कहता है फिर रवि अकेले बैठे बैठे बहुत रोता है और ईश्वर से कहता है की मुझे माफ़ कर दो आज मैं इन बच्चों के लिए कुछ नहीं कर सका

रवि का सपना:

रोते रोते रवि को नींद आ जाती है फिर उसे एक सपना आता है सपने में उसे एक बूढी औरत दिखती है जो रवि से कहती है की कल जब सूर्य अस्त होगा उस समय तुम सेठ के खेतों के पास वाले पेड़ के नीचे केवल एक फ़ीट खोदना तुम्हे वहाँ से कुछ मिलेगा और ये काम तुम्हे अगले और दो दिनों तक करना होगा लेकिन एक दिन में केवल एक फ़ीट ही खोदना होगा उससे ज्यादा नही और तुम्हे जो भी चीज जमीन से मिलेगी उस समय तुम्हारे मन में स्वार्थ जरा भी आया तो वह चीज राख बन जाएगी |

सपने की याद

अगली सुबह जब रवि उठता है तो उसे वह सपना याद नहीं था रवि जल्दी से खेतों की ओर चल देता है वह खेतों में काम कर रहा था दोपहर का समय था रवि को बहुत तेज़ धूप थी रवि को गर्मी लगी तो वह उसी पेड़ के निचे बैठ गया

अचानक उसे अपना सपना याद आया और रवि उठ के पेड़ के आसपास ध्यान से देखने लग गया फिर उसे याद आया की उसे ये काम सूर्यास्त के समय करना है रवि फिर से काम में लग जाता है |

चाँदी के सिक्के

जैसे ही सूर्यास्त होने वाला था वैसे ही रवि पेड़ के पास आ जाता है वह कुदाल चलाते है और जमीन खोदने लगता है थोड़ा ही खोदने पे रवि को दो चांदी के सिक्के मिले जिनको देखते ही रवि बहुत खुश हुआ और रवि बच्चों के बारे में सोचने लगा और दोनों सिक्कों को लेकर घर की तरफ लोट आया रवि एक दुकान से कुछ खाने का सामान लेता है और कल उसके पैसे लौटा देगा केह के घर आ जाता है

रवि की ख़ुशी

आज वह बच्चों के साथ ख़ुशी ख़ुशी खाना खता है और चैन से सो जाता है सुबह उठते ही रवि बाजार की तरफ चला जाता है और सेठ के यहाँ सन्देश भिजवा देता है की आज वह खेत नहीं जाएगा

सेठ को शक होता है कही रवी कही और तो काम नहीं करने लग गया इधर रवि बाजार में सुनार के पास आता है और चांदी के सिक्कों के बदले पैसे लेकर घर आ जाता है और शाम होने का इंतजार करता है

सोने के सिक्के

सूर्यास्त से पहले ही रवि खेतों की तरफ पहुंच जाता है और फिर से वही पेड़ के पास जाता है और सूर्यास्त होते ही खोदना शुरू कर देता है थोड़ा ही गहराई में रवि को एक पोटली मिलती है जिसमे थोड़े सोने के सिक्के बंधे हुए थे सोना देख कर रवि खुश हो जाता है और सोचता है कि इससे तो मैंकुछ अच्छा काम कर सकता हु और सभी अनाथ बच्चों को एक अच्छा जीवन दे सकता हु रवि पोटली लेकर घर आ जाता है

सेठ का शक

अगली सुबह फिर रवि सेठ के यहाँ सन्देश भिजवाता है की आज भी वह खेतों में नहीं आएगा और शायद अब कभी नहीं आएगा कहकर रवि बाजार चले जाता है

अब सेठ को रवि पे शक होने लग गया और सेठ पता लगने लग गया कि रवि कहाँ जाता है तो बहुत पता करने पे सेठ को पता चला की रवि दिन में बाजार जाता है और किसी ने शाम को उसे सेठ के खेतों की तरफ जाते देखा तो सेठ ने सोचा की आज वह खुद रवि पे नजर रखेगा

सेठ की धोखाधड़ी

सूर्यास्त से पहले रवि फिर से खेतों की तरफ जा रहा था सेठ भी उसका पीछा करने लग गया और छुपकर सब देख रहा था जैसे ही सूर्यास्त हो रहा था रवि ने जमीन खोदना शुरू कर दिया और थोड़ा ही खोडने पे रवि को एक घड़ा मिला

रवि ने जैसे ही घड़ा हाथ में लिया वैसे ही सेठ ने रवि के हाथों से घड़ा छीन लिया और हंसने लग गया सेठ रवि से कहने लगा तुम तो बहुत चालाक निकले मै तो तुम्हे सीधा समझ रहा था लेकिन तुम तो गड़े खजाने की ताक में बैठे थे इतने दिनों से और आज तुम्हे मौका मिला लेकिन अफ़सोस कि अब ये घड़ा मेरा है जरा देखो तो इसमें क्या है

ख़ज़ाने का राख

सेठ जैसे ही घड़े के ऊपर रखा कपडा हटाता है सेठ की आंखे फटी की फटी रह जाती है घड़े में बहुत सोना भरा हुआ था सेठ ये देख कर खुश हो जाता है और सोचने लगता है की अब मै पूरे गाँव का सबसे अमीर आदमी बन जाऊंगा और पूरे गाँव पे मेरा ही राज चलेगा यह सोचते ही सेठ घड़े को देखता है तो घड़े में राख भरा हुआ था सेठ एकदम से डर जाता है और रवि से कहता है की ये कैसे हो सकता है इसमें तो सोना था

अचानक इसमें राख कहाँ से आ गया रवि हँसते हुए बोलता है सेठ जी आपको क्या हो गया है इसमें तो राख ही था आपको ही सोना दिखाई दे रहा था

रवि हँसते वहां से जाने लगता है तभी सेठ रवि पे चिल्लाता है और कहता है की ज्यादा खुश होने का दिखावा मत करो तुम्हारे हाथ भी कुछ नहीं लगा है और कल से मेरे पास काम के लिए मत आना अब मैं देखूंगा कि कैसे तुम्हे काम के लिए भटकना पड़ेगा

रवि ये सब सुन कर भी मुस्कुराता हुआ वह से चला जाता है क्यूंकि रवि को इतना धन मिल चुका था कि उसे किसी के यहाँ काम नहीं करना पड़ेगा

रवि का खुशनुमा नतीजा

कुछ समय बाद ही रवि एक बड़ा व्यापारी बन गया और रवि ने सभी बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दिलवाई और अब उन बच्चों को भी भटकने की जरूरत नहीं थी