Hindi Story: बहुत समय पहले एक सम्राट था | जिसका एक बेटा था जब वह बड़ा हुआ तो सम्राट चाहता था की उसका बेटा ध्यान की शिक्षा सीखे इसलिए सम्राट अपने बेटे को एक गुरु के पास भेज देता है | गुरु थोड़ा अजीब था उसके आश्रम के बाहर लिखा था की – यहाँ तलवार चलनी सिखाई जाती है | लड़का देख केहेरान होता है की मेरे पिताजी ने तो मुझे यहाँ ध्यान सीखने के लिए भेजा है और यहाँ तो कुछ और ही लिखा है लड़का चुपचाप अंदर चला जाता है | गुरु लड़के से कहता है तुम अभी आश्रम में ही रहो सही समय आने पर मै तुम्हे शिक्षा दूंगा |
महीनो बीत गए एक दिन गुरु आये और पीछे से लड़के पे वार किया जिससे लड़का दर्द से चिल्लाने लगा और गुरु से कहने लगा की तुम मुझे पागल मालूम होते हो | मुझे यहाँ शिक्षा के लिए भेजा गया है और आप मुझपे बिना कुछ सिखाये ही वार कर रहे हो | गुरु बोलै की आज से तुम्हारी शिक्षा सुरु हो रही है और तुम्हे अब से ध्यान रखना होगा और सावधान रहना होगा मई कभी भी तुम पर वार कर सकता हूँ |
दिन बीतते गए गुरु दिन में कई बार उसपे वार करता कुछ वारों से शिष्य बच जाता और कुछ से नहीं बच किन्तु तीन महीने में ही शिष्य इतना सावधान हो गया की वह गुरु के आने की आहट भी दूर से ही सुन लेता था | अब गुरु उसपे एक भी वार न कर पाते | अब गुरु ने उससे कहा कि अब तुम्हारी दूसरी शिक्षा शुरू होती है अब तुम्हे नींद में भी सावधान रहना पड़ेगा मै कभी भी तुम्हे नींद में भी तुम पे वार कर सकता हूँ |
शिष्य पे कुछ दिन तक नींद में भी गुरु द्वारा वार होते रहे लेकिन कुछ वक़्त बाद लड़का इसमें भी कुशल हो गया वह नींद में भी अब सावधान रहना सीख गया | नींद में भी अब गुरु उसके पास आते तो वह सावधान हो जाता | देखते देखते छः माह बीत गए अब शिष्य का ध्यान और होश और बढ़ गया | एक दिन गुरु साधना कर रहे थे शिष्य ने सोचा क्यों न आज गुरु की परीक्षा ली जाये गुरु ने इतने दिन मुझे मारा है क्यों न आज देखा जाये कि गुरु आज स्वयं को साबित कर पाते हैं या नहीं |
शिष्य मन में सोच ही रहा था की गुरु की आवाज आई – रुको रुको ऐसा करने की सोचना भी मत मै अब बूढा हो चूका हु और मेरी हड्डियां कमजोर हो गई हैं मुझे मत मारना | शिष्य हैरानी से बोला “आपने मेरे मन की बात कैसे जान पढ़ ली ? ” गुरु ने कहा की “बेटा अब मेरा मन इतना शांत और ध्यान बहुत सजग होगया है कि मै अब दूसरों के मन की बात और दूसरों की भावनाओं को पढ़ सकता हूँ |” अब लड़के की शिक्षा पूरी हो चुकी थी अब वह अपने पिता सम्राट के महल वापस लौट आया |
सम्राट ने पूछा कि बेटा कैसे थे तुम्हारे गुरु ? बेटा कहता है कि गुरु ने मुझे तलवार चलाना तो नहीं सिखाया किन्तु अब मैं इतना सावधान हो गया हूँ कि कोई भी मुझपे वार नहीं कर सकता है मेरा ध्यान इतना सजग और तेज़ हो चुका है |
एक शांत मन जीवन में ध्यान को जन्म देता है जितना गहरा ध्यान होगा उतना ही हम चीजों को याद रख पाते है शांत मन में इतनी ताकत होती है कि हम दूसरों के मन को पढ़ना भी सीख सकते हैं | इसलिए ध्यान करना चाहिए जिससे मस्तिष्क का विकाश होता है और बुद्धिमता बढ़ती है |