Hindi Story: किसी गांव में गुल्लू और बल्लू नाम के दो भिखारी रहते थे | वे दिन भर गांव में घूमकर भीख मांगते थे उसी से अपना पेट भरते थे | उसी गांव में एक जमींदार सेठ धनपत रहता था जो बहुत धनि था |
दोनों भिखारी हमेशा सेठ के यहाँ भीख मांगने जरूर आते थे सेठ भी उन्हें हमेशा भेख देता था भीख ले के बल्लू हमेशा सेठ की प्रशंशा करता था और सेठ धनपत की जयजयकार करता था | लेकिन गुल्लू सेठ को धन्यवाद देता और ईश्वर की जयजयकार करता था वह केवल ईश्वर की प्रशंशा करता था | वह मानता था की ईश्वर ही सबको देने वाला है व्यक्ति तो केवल माध्यम है |
बल्लू हमेशा सेठ की प्रशंशा करता था तो सेठ भी बल्लू को पसंद करता था लेकिन सेठ को गुल्लू पसंद नहीं था सेठ सोचता था की इन दोनों को भीख मैं देता हु और गुल्लू ईश्वर की प्रशंशा करता है बल्कि इसे मेरी जयजयकार करनी चाहिए |
एक दिन सेठ धनपत सोचता है की क्यों न गुल्लू को सबक सिखाया जाये | सेठ अपनी पत्नी से दो रोटियां बनवाता है एक रोटी मोटी और एक रोटी सामान्य | जब दोनों भिखारी सेठ के यहाँ आते है सेठ दोनों को एक एक रोटी देता है बल्लू को मोटी और गुल्लू को पतली रोटी देता है | रोटी लेकर दोनों भिखारी चले जाते है सेठ मन ही मन बहुत खुश हो रहा था |रास्ते में बल्लू अपनी मोती रोटी गुल्लू को दे देता है और कहता है कि “गुल्लू तुम अपनी रोटी मुझे दे दो मै हमेशा सेठ की प्रशंशा करता हु तब भी सेठ ने मुझे ये मोटी और कच्ची रोटी दी और तुम्हे अच्छी रोटी दी है | ” गुल्लू कुछ नहीं कहता और मुस्कराते हुए मोटी रोटी ले लेता है|
अब बल्लू गांव की तरफ निकल जाता है और बल्लू वापस घर लौट जाता है | घर पहुंचने पर गुल्लू रोटी खाने के लिए निकलता है वह ईश्वर का धन्यवाद करता है और रोटी खाने लगता है जैसे ही वह एक टुकड़ा तोड़ता है उसमे से एक हीरा निकलता है | गुल्लू हैरान हो जाता है उसकी आँखे चमकने लगती है और वह बहुत खुश हो जाता है फिर वो और रोटी तोड़ता है तो उसमे से और तीन हीरे निकलते है अब तो गुल्लू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था |
गुल्लू बार बार ईश्वर का धन्यवाद देता है और सोचता है की अब वो शहर जाएगा और व्यापार करेगा अब उसे भीख नहीं मांगनी पड़ेगी | अगली सुबह बल्लू भीख मांगने जा रहा होता है वह गुल्लू को भी चलने को कहता है लेकिन गुल्लू अपना सब सामान बांध रहा था बल्लू उससे पूछता है कि तुम कहाँ जा रहे हो ? तो गुल्लू उससे कहता है कि अब मैं भीख नहीं मांगूगा क्यूंकि ईश्वर नहीं चाहता की मई भीख मांगू ईश्वर ने मुझे कुछ करने का मौका दिया है अब मैं शहर जा रहा हु और वही रहूंगा | और वह शहर के लिए निकल जाता है और बल्लू फिर भीख मांगने गांव की तरफ चले जाता है |
रोज की तरह आज भी बल्लू सेठ के यहाँ जाता है बल्लू को देख कर सेठ चौंक जाता है और कहता है कि तुम यहाँ हो और गुल्लू कहा है ?बल्लू सेठ से कहता है सेठ जी गुल्लू शहर चला गया है वो कह रहा था ईश्वर नहीं चाहता की वह भीख मांगे फिर सेठ को सारी बात समझ आ गई और सेठ को खुद पे अफ़सोस होने लगा और वह ईश्वर से माफ़ी मांगने लग गया अब उसे समझ आ गया की ईश्वर जो चाहता कर सकता है |जबकि उसने तो बल्लू के लिए रोटी में हीरे भरे थे तब भी वह रोटी गुल्लू के पास गई वास्तव में ईश्वर जो चाहता है वही होता है | तो व्यक्ति को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए क्यूंकि ईश्वर से बड़ा कुछ नहीं है |