आलसी बंदर की कहानी

एक जंगल था वहाँ एक मोटा बन्दर रहता था जिसका नाम रिक्कू था वह बहुत आलसी था उसे ज्यादा मेहनत करना पसंद नहीं था ! सलिए वह उन पेड़ों पे ही रहता था जो पेड़ फलदार होते थे रिक्कू किसी भी जानवरों को वह रहने नहीं देता था वह हमेशा अकेला रहता था !

वह मेशा ऐसा ही करता था जो भी फलदार पेड़ हो उन पे अपना कब्ज़ा कर लेता था दूसरे बंदरों और अन्य जानवरों को खाना ढूंढने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी !इसलिए सारे बन्दर और अन्य जानवर भी उससे दूर ही रहते थे क्यूंकि रिक्कू किसी से मिल जुल के नही रहना चाहता था !

एक बार एक बूढ़ा बंदर जो कि दूसरे जंगल से आ रहा था उसे किसी दूसरे जंगल में जाना था ! रास्ते में उसे रिक्कू मिला बूढा बन्दर भूखा था उसने रिक्कू से कहा ” मैं बहुत भूखा हूँ क्या तुम मुझे कुछ खाने को दे सकते हो कृपया मेरी मदद करो मैं बहुत भूखा हूँ ” रिक्कू बूढ़े बंदर को अनसुना कर रहा था !

बूढ़ा बंदर उसे बार बार मदद मांग रहा था जिससे रिक्कू को गुस्सा आया उसने बूढ़े बंदर को खाना तो नहीं दिया बल्कि बूढ़े बंदर को पेड़ से धक्का दे दिया !

पास के पेड़ पे दो बन्दर थे जो ये सब देख रहे थे उन्होंने बूढ़े बंदर को गिरने से बचाया और रिक्कू को खरी खोटी सुनाई जिससे रिक्कू ने उन सब को वह से चले जाने को कहा और दुबारा वह न आने को कहा ! समय बीतता गया रिक्कू अकेले ही रहता था और सब से लड़ता रहता था और धीरे धीरे वह और भी ज्यादा मोटा होता जा रहा था !

एक दिन किसी कारणवश जंगल में आग लग गई सभी जानवर भागने लग गए चारों ओर अफरा तफरी मच गई सभी जानवर जंगल छोड़ के दुसरे जंगल की तरफ भागने लग गए ! रिक्कू भी वह से भागने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह बहुत मोटा था जिस वजह से वह जंगल से जल्दी नही निकल पाया और घायल हो गया सभी जानवर अपने अपनों की मदद कर रहे थे पर रिक्कू अकेले ही एक जगह पड़ा हुआ था !

दूसरे जानवर भी आज उसकी मदद नही करना चाहते थे क्यूंकि उसका ब्यवहार किसी को पसंद नहीं था वे चाहकर भी रिक्कू की मदद नही करना चाहते थे ! लेकिन उन सभी के बीच कुछ समझदार जानवर भी थे जो समझते थे कि चाहे रिक्कू कितना भी बुरा क्यों न हो ! आखिर वो हमारे परिवार का ही सदस्य है वे सभी को बहुत समझाते है और सभी की मदद करने को कहते है सभी जानवर उनकी बात मानते है और रिक्कू की मदद करते है उसको भी अपने साथ दूसरे जंगल ले जाते है और जब तक रिक्कू स्वस्थ नहीं होता सभी जानवर उसकी देखभाल करते है !

इतने वक़्त में रिक्कू को अपनी गलतियों का अहसास हो जाता है और परिवार की क्या कीमत है रिक्कू समझ गया था अब रिक्कू सभी के साथ मिल जुल के रहने लगा !